जिस देश को अपनी भाषा और अपने साहित्य के गौरव का अनुभव नहीं है, वह उन्नत नहीं हो सकता। - देशरत्न डॉ. राजेन्द्रप्रसाद।
बाल-साहित्य
बाल साहित्य के अन्तर्गत वह शिक्षाप्रद साहित्य आता है जिसका लेखन बच्चों के मानसिक स्तर को ध्यान में रखकर किया गया हो। बाल साहित्य में रोचक शिक्षाप्रद बाल-कहानियाँ, बाल गीत व कविताएँ प्रमुख हैं। हिन्दी साहित्य में बाल साहित्य की परम्परा बहुत समृद्ध है। पंचतंत्र की कथाएँ बाल साहित्य का एक महत्वपूर्ण स्रोत हैं। हिंदी बाल-साहित्य लेखन की परंपरा अत्यंत प्राचीन है। पंचतंत्र, हितोपदेश, अमर-कथाएँ व अकबर बीरबल के क़िस्से बच्चों के साहित्य में सम्मिलित हैं। पंचतंत्र की कहानियों में पशु-पक्षियों को माध्यम बनाकर बच्चों को बड़ी शिक्षाप्रद प्रेरणा दी गई है। बाल साहित्य के अंतर्गत बाल कथाएँ, बाल कहानियां व बाल कविता सम्मिलित की गई हैं।

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नकल | पंचतंत्र - विष्णु शर्मा

एक पहाड़ की ऊंची चोटी पर एक बाज रहता था। पहाड़ की तराई में बरगद के पेड़ पर एक कौआ अपना घोंसला बनाकर रहता था। वह बड़ा चालाक और धूर्त था। उसका प्रयासरहता कि बिना परिश्रम किए खाने को मिल जाए। पेड़ के आसपास खोह में खरगोश रहते थे। जब भी खरगोश बाहर आते तो बाज ऊंची उड़ान भरते और एकाध खरगोश को उठाकर ले जाते।
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चार बाल गीत - प्रभुद‌याल‌ श्रीवास्त‌व‌ | Prabhudyal Shrivastava

यात्रा करो टिकिट लेकर
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करना हो सो कीजिए - करना हो सो कीजिए

एक कौआ था। वह रोज नदी-किनारे जाता और बगुले के साथ बैठता। धीरे-धीरे दोनों में दोस्ती हो गई। बगुला मछलियां पकड़ता और कौए को खिलाया करता। बगुला नये-नये ढंग से रोज़ नई-नई मछलियां पकड़ता रहता, कौए को हर दिन नया-नया भोजन मिलने लगा।
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मैडम की सीख - डॉ रामनिवास मानव | Dr Ramniwas Manav

भारी-भरकम बस्ता लेकर,
मोनू चला स्कूल।
लेकिन कॉपी और पैन्सिल
घर पर आया भूल।
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शेर और चूहा - ईसप

एक शेर जंगल में अपने पंजों पर अपना भारी भरकम सिर टिकाए आराम कर रहा था।  अचानक एक चूहा उसके ऊपर आ कर गिरा और डरकर शेर के मुख की और भागने लगा। शेर को बहुत गुस्सा आया। उसने चूहे को अपने पंजों में जकड लिया और कहा, "तेरी यह हिम्मत? मैं अभी तुझे खा सकता हूँ।"
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मेरे पापा सबसे अच्छे - आनन्द विश्वास (Anand Vishvas)

मेरे पापा सबसे अच्छे,
मेरे संग बन जाते बच्चे।
झटपट वे घोड़ा बन जाते,
और पीठ पर मुझे बिठाते।
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